Saturday, March 19, 2016

तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको,

तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको,
इससे पहले की कोई और बहा ले मुझको,
आइना बन के गुजारी है जिंदगी मैंने,
टूट जाऊंगा बिखरने से बचा ले मुझको,

जो आज कर गयी घायल वो हवा कौन सी है,
जो दर्द-ए-दिल करे सही वो दवा कौन सी है,
तुमने इस दिल को गिरफ्तार आज कर तो लिया,
अब जरा ये तो बता दो की दफा कौन सी है,

सोचता था मैं कि तुम गिर के संभल जाओगे,
रौशनी बन के अंधेरों को निगल जाओगे,
न तो मौसम थे न हालात न तारीख न दिन,
किसे पता था कि तुम ऐसे बदल जाओगे,

कवि: विष्णु सक्सेना

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