Friday, November 26, 2021

पॉजिटिविटी

✌🏻 *पॉजिटिविटी* 😇

एक नर्स लंदन में ऑपरेशन से दो घंटे पहले मरीज़ के कमरे में घुसकर कमरे में रखे गुलदस्ते को संवारने और ठीक करने लगी। 

ऐसे ही जब वो अपने पूरे लगन के साथ काम में लगी थी, तभी अचानक उसने मरीज़ से पूछा "सर आपका ऑपरेशन कौन सा डॉक्टर कर रहा है?"

नर्स को देखे बिना मरीज़ ने अनमने से लहजे में कहा "डॉ. जबसन।"

नर्स ने डॉक्टर का नाम सुना और आश्चर्य से अपना काम छोड़ते हुये मरीज़ के पास पहुँची और पूछा "सर, क्या डॉ. जबसन ने वास्तव में आपके ऑपरेशन को स्वीकार किया हैं?

मरीज़ ने कहा "हाँ, मेरा ऑपरेशन वही कर रहे हैं।"

नर्स ने कहा "बड़ी अजीब बात है, विश्वास नहीं होता"

परेशान होते हुए मरीज़ ने पूछा "लेकिन इसमें ऐसी क्या अजीब बात है?"

नर्स ने कहा "वास्तव में इस डॉक्टर ने अब तक हजारों ऑपरेशन किये हैं उसके ऑपरेशन में सफलता का अनुपात 100 प्रतिशत है । इनकी तीव्र व्यस्तता की वजह से इन्हें समय निकालना बहुत मुश्किल होता है। मैं हैरान हूँ आपका ऑपरेशन करने के लिए उन्हें फुर्सत कैसे मिली?

मरीज़ ने नर्स से कहा "ये मेरी अच्छी किस्मत है कि डॉ जबसन को फुरसत मिली और वह मेरा ऑपरेशन कर रहे हैं ।

नर्स ने एक बार बार कहा "यकीन मानिए, मेरा हैरत अभी भी बरकरार है कि दुनिया का सबसे अच्छा डॉक्टर आपका ऑपरेशन कर रहा है!!"

इस बातचीत के बाद मरीज को ऑपरेशन थिएटर में पहुंचा दिया गया, मरीज़ का सफल ऑपरेशन हुआ और अब मरीज़ हँस कर अपनी जिंदगी जी रहा है।

मरीज़ के कमरे में आई महिला कोई साधारण नर्स नहीं थी, बल्कि उसी अस्पताल की मनोवैज्ञानिक महिला डॉक्टर थी, जिसका काम मरीजों को मानसिक और मनोवैज्ञानिक रूप से संचालित करना था, जिसके कारण उसे संतुष्ट करना था जिस पर मरीज़ शक भी नहीं कर सकता था। और इस बार इस महिला डॉक्टर ने अपना काम मरीज़ के कमरे में गुलदस्ता सजाते हुये कर दिया था और बहुत खूबसूरती से मरीज़ के दिल और दिमाग में बिठा दिया था कि जो डॉक्टर इसका ऑपरेशन करेगा वो दुनिया का मशहूर और सबसे सफल डॉक्टर है जिसका हर ऑपरेशन सफल ऑपरेशन होता है और इसी पॉजिटिविटी ने मरीज के अन्दर के डर को खत्म कर दिया था। और वह ऑपरेशन थियेटर के अन्दर यह सोचकर गया कि अब तो मेरा आपरेशन सक्सेज होकर रहेगा , मैं बेकार में इतनी चिन्ता कर रहा था। 

*पॉजिटिविटी दीजिये लोगों को...क्योंकि इस समय यह काम ईश्वर की वन्दना से भी बढ़कर है।*
★★★★★

ईश्वर बड़ा ही दयालु है।

एक राजा का एक विशाल फलों का बगीचा था। उसमें अनेक प्रकार के फल लगते थे। उस बगीचे की सारी देख-रेख एक किसान‌‌ अपने परिवार के साथ करता था और वो किसान हर दिन बगीचे के ताजे फल लेकर राजा‌ के राजमहल में जाता था।🌻🌼🥀🌼🌻

एक दिन किसान ने पेड़ों पर देखा कि नारियल, अनार, अमरूद और अंगूर आदि पक कर‌‌ तैयार हो रहे हैं। अनिश्चय की स्थिति में किसान सोचने लगा कि इन सारे पके फलों में आज कौन सा फल‌ महाराज को अर्पित करूं? 

उसे लगा कि आज राजा को अंगूर अर्पित करने चाहिए, क्योंकि वो बिल्कुल पक कर तैयार हैं, फिर उसने अंगूरों की टोकरी भर ली और राजा को देने चल पड़ा।

किसान जब राजमहल में पहुंचा, तो देखा महाराज किसी दूसरे ख्याल में खोये थे और कुछ नाराज भी लग रहे थे। किसान ने रोज की तरह मीठे रसीले अंगूरों की टोकरी राजा के सामने रख दी, और थोड़ी दूरी पर बैठ गया।

अब राजा उसी ख्यालों में टोकरी में से अंगूर उठाता, एक खाता और एक खींचकर किसान के माथे पर निशाना साधकर फेंक देता। राजा का अंगूर जब भी किसान के माथे या शरीर पर लगता था, तो किसान कहता- ईश्वर बड़ा ही दयालु है।

राजा फिर और जोर से अंगूर फेंकता था, और किसान फिर वही कहता- ईश्वर बड़ा ही दयालु है।

थोड़ी देर बाद जब राजा को एहसास हुआ, कि वो क्या कर रहा है और प्रत्युत्तर क्या आ रहा है, तो वो संभलकर बैठ गया और फिर किसान से कहा- मैं तुम्हें बार-बार अंगूर मार रहा हूं, और ये अंगूर तुम्हें लग भी रहे हैं, पर फिर भी तुम बार-बार यही क्यों कह रहे हो- ईश्वर बड़ा ही दयालु है।

किसान बड़ी ही नम्रता से बोला- महाराज जी! बागान में आज नारियल, अनार, अमरुद और अंगूर आदि फल तैयार थे, पर मुझे भान हुआ कि क्यों न मैं आज आपके लिए अंगूर ले चलूं। अब लाने को तो मैं नारियल, अनार और अमरुद भी ला सकता था, पर मैं अंगूर लाया। यदि अंगूर की जगह नारियल, अनार या अमरुद रखे होते, तो आज मेरा हाल क्या होता ?

इसीलिए मैं कह रहा था- ईश्वर बड़ा ही दयालु है।

#तात्पर्य: इसी प्रकार ईश्वर भी हमारी कई मुसीबतों को बहुत ही हल्का करके हमें उबार लेता है। लेकिन हम बोलते हैं कि मेरे साथ ही ऐसा क्यूं हुआ? मेरा क्या कसूर था? जैसे सवाल पूछकर हम उनका अनादर करते हैं। इसलिए कहा गया है कि ईश्वर जो भी करते हैं, वो अच्छा ही करते हैं। जो भी होता है वह अच्छे के लिए होता है। 🙏

विश्वास (believe) तथा विश्वास (trust) में अंतर !!

*विश्वास (believe) तथा विश्वास (trust) में अंतर !!*

एक बार, दो बहुमंजिली इमारतों के बीच, बंधी हुई एक तार पर लंबा सा बाँस पकड़े, एक कलाकार चल रहा था। उसने अपने कन्धे पर अपना बेटा बैठा रखा था। सैंकड़ों, हज़ारों लोग दम साधे देख रहे थे।सधे कदमों से, तेज हवा से जूझते हुए, अपनी और अपने बेटे की ज़िंदगी दाँव पर लगाकर उस कलाकार ने दूरी पूरी कर ली ।

भीड़ आह्लाद से उछल पड़ी, तालियाँ, सीटियाँ बजने लगी। लोग उस कलाकार की फोटो खींच रहे थे, उसके साथ सेल्फी ले रहे थे। उससे हाथ मिला रहे थे ।   

*वो कलाकार माइक पर आया और भीड़ को बोला - क्या आपको विश्वास है कि मैं यह दोबारा भी कर सकता हूँ ??*

*भीड़ चिल्लाई, हाँ हाँ, तुम कर सकते हो।"*

उसने पूछा - क्या आपको विश्वास है ? भीड़ चिल्लाई - *हाँ पूरा विश्वास है !!* हम तो शर्त भी लगा सकते हैं कि तुम सफलता पूर्वक इसे दोहरा सकते हो।

*कलाकार बोला - पूरा पूरा विश्वास है ना। भीड़ बोली - हाँ, हाँ !!*

कलाकार बोला - *ठीक है, कोई मुझे अपना बच्चा दे दे !!* मैं उसे अपने कंधे पर बैठा कर रस्सी पर चलूँगा ।"
*फिर एक दम खामोशी, शांति, चुप्पी सी फैल गयी।*

कलाकार बोला - *डर गए...!* अभी तो आपको विश्वास था कि मैं कर सकता हूँ। असल में *आप का यह विश्वास (believe) है, मुझमेँ विश्वास (trust) नहीं है। दोनों विश्वासों में फर्क है साहेब !*

यही कहना है - *ईश्वर हैं !! ये तो विश्वास है !*
               परन्तु 
*ईश्वर में सम्पूर्ण विश्वास नहीं है।*

*You believe in God, but you don't, trust him।*
*👉अगर ईश्वर में पूर्ण विश्वास है तो चिंता, क्रोध और तनाव क्यों ???*
        *जरा सोचिए !!!*


From Internet with thanks..

Thursday, November 18, 2021

मैं भारत हूँ।

मैं भारत हूँ।
मैं वह भारत हूँ जिसने पिछले पाँच हजार वर्ष में कभी अपने किसी बेटे का नाम दुशासन नहीं रखा, क्योंकि उसने एक स्त्री का अपमान किया था।
मैं वह भारत हूँ जो कभी अपने बच्चों को रावण या कंश नाम नहीं देता, क्योंकि इन्होंने अपने जीवन में स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार किया था।
मैं वह भारत हूँ जहाँ कोई गांधारी अपने सौ पुत्रों की मृत्यु के बाद भी द्रौपदी पर क्रोध नहीं करती, बल्कि अपने बेटों की असभ्यता के लिए क्षमा मांगती है।
मैं वह भारत हूँ जहाँ निन्यानवे प्रतिशत बलात्कारियों को अपना गाँव छोड़ देना पड़ता है, और उसे धक्का कोई और नहीं, खुद उसके खानदान वाले देते हैं।
मैं वह भारत हूँ जहाँ गुस्सा आने पर सामान्य बाप बेटे को भले लात से मार दे, पर बेटी को थप्पड़ नहीं मारता!
मैं वह भारत हूँ जहाँ एक सामान्य बाप अपने समूचे जीवन की कमाई अपनी बेटी के लिए सुखी संसार रचने में खर्च कर देता है।
मैं वह भारत हूँ जहाँ अब भी बेटियाँ लछमी होती हैं। मैं वह भारत हूँ जहां बेटे बाप के हृदय में बसते हैं और बेटियां उसकी आत्मा में बसती हैं।

सभ्यता में असभ्यता के संक्रमण से उपजी आधुनिक कुरीतियों ने बेटियों के जन्म पर उपजने वाले उल्लास का रंग भले मार दिया हो, पर अब भी पिता सर्वाधिक खुश अपनी बेटी की मुस्कान देख कर ही होता है।
मैं वह भारत हूँ जिसके सौ करोड़ बच्चे अब भी नहीं लांघते मर्यादा की लकीर! उनमें बसते हैं, राम, बसते हैं कृष्ण, बसते हैं शिव... उनके बीच निर्भय हो कर मुस्कुराती है कोई राधा, कोई मीरा, कोई अनुसुइया...
मैं वह भारत हूँ जिसके हृदय में अब भी धर्म बहता है।

समाज की प्रतिष्ठा पराजित नहीं होती हिजड़ों के अश्लील ठहाकों से,

रोजी के लिए राष्ट्र पर प्रहार करने वाले चर्चित भले हों, प्रतिष्ठित नहीं होते।
मैं वह भारत हूँ, जिसकी प्रतिष्ठा स्वयं प्रकृति तय करती है, जिसके मस्तक पर तिलक स्वयं सूर्य लगाते हैं।
मैं भारत हूँ..
📌📌📌📌📌📌📌📌📌
कॉमेंट जरूर करें🙏🙏


इंटरनेट से सधन्यवाद 

सर्वोत्तम शास्त्र

एक व्यक्ति ने व्यापार में उन्नति की और लंदन में ज़मीन ख़रीद उस पर आलीशान घर बनाया.

भूमि पर पहले से ही एक खूबसूरत स्विमिंग पूल और पीछे की और एक 100 साल पुराना लीची का पेड़ था.

 उन्होंने वो भूमि उस लीची के पेड़ के कारण ही ख़रीदी थी, क्यूँकि उनकी पत्नी को लीचियाँ बहुत पसंद थी.

कुछ अरसे बाद Renovation के समय उनके कुछ मित्रों ने सलाह दी,उन्हें किसी वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए.

यद्यपि उसे ऐसी बातों पर विश्वास नहीं था, फिर भी मित्रों का मन रखने के लिए उन्होंने बात मान ली और Hongkong से 30 साल से वास्तु शास्त्र के बेहद प्रसिद्ध Master Cao को बुलवा लिया.

उन्हें Airport से लिया, दोनों ने शहर में खाना खाया और उसके बाद वो उन्हें अपनी कार में ले कर अपने घर की ओर चल दिए.

रास्ते में जब भी कोई कार उन्हें Overtake करने की कोशिश करती, वो उसे रास्ता दे देते.

Master Cao ने हंसते हुए कहा आप बहुत Safe driving करते हैं. उसने भी हंसते हुए प्रत्युत्तर में कहा लोग अक्सर Overtake तभी करते हैं जब उन्हें कुछ आवश्यक कार्य हो, इसलिए हमें उन्हें रास्ता देना चाहिए.

घर के पास पहुँचते-पहुँचते सड़क थोड़ी संकरी हो गयी और उसने कार थोड़ी और धीरे कर ली. तभी अचानक एक हंसता हुआ बच्चा गली से निकला और तेज़ी से भागते हुए उनकी कार के आगे से सड़क पार कर गया, वो उसी गति से चलते हुए उस गली की ओर देखते रहे, जैसे किसी का इंतज़ार कर रहे हों, तभी अचानक उसी गली से एक और बच्चा भागते हुए उनकी कार के आगे से निकल गया, शायद पहले बच्चे का पीछा करते हुए. Master Cao ने हैरान होते हुए पूछा - आपको कैसे पता कि कोई दूसरा बच्चा भी भागते हुए निकलेगा ?

उसने बड़े सहज भाव से कहा, बच्चे अक्सर एक-दूसरे के पीछे भाग रहे होते हैं और इस बात पर विश्वास करना संभव ही नहीं कि कोई बच्चा बिना किसी साथी के ऐसी चुहल और भाग दौड़ कर रहा हो,

Master Cao इस बात पर बहुत ज़ोर से हंसे और बोले की आप निस्संदेह बहुत सुलझे हुए व्यक्ति हैं.

घर के बाहर पहुँच कर दोनों कार से उतरे. तभी अचानक घर के पीछे की ओर से 7-8 पक्षी बहुत तेज़ी से उड़ते नज़र आए. यह देख कर उसने Master Cao से कहा कि यदि उन्हें बुरा न लगे तो क्या हम कुछ देर यहाँ रुक सकते हैं ?

Master Cao ने कारण जानना चाहा उसने कहा कि शायद कुछ बच्चे पेड़ से लीचियाँ चुरा रहे होंगे और हमारे अचानक पहुँचने से डर के मारे बच्चों में भगदड़ न मच जाए, इससे पेड़ से गिर कर किसी बच्चे को चोट भी लग सकती है.

Master Cao कुछ देर चुप रहे, फिर संयत आवाज़ में बोले मित्र, इस घर को किसी वास्तु शास्त्र जाँच और उपायों की आवश्यकता नहीं है.

उसने बड़ी हैरानी से पूछा ऐसा क्यूँ ?

Master Cao - जहां आप जैसे विवेकपूर्ण व आसपास के लोगों की भलाई सोचने वाले व्यक्ति उपस्थित/विद्यमान होंगे - वो स्थान/संपत्ति वास्तु शास्त्र नियमों के अनुसार बहुत पवित्र-सुखदायी-फलदायी होगी.

जब हमारा मन व मस्तिष्क दूसरों की ख़ुशी व शांति को प्राथमिकता देने लगे, तो इससे दूसरों को ही नहीं, स्वयं हमें भी मानसिक लाभ-शांति-प्रसन्नता मिलती है

जब कोई व्यक्ति सदा स्वयं से पहले दूसरों का भला सोचने लगे तो अनजाने में ही उसे संतत्व प्राप्त हो जाता है जिसके कारण दूसरों का भला हो रहा होता है व उसे ज्ञानबोध मिल जाता है.

भले ही हम प्रण न करें परंतु क़ोशिश अवश्य करें कि हममें भी ऐसे कुछ गुण विकसित हो जाएं कि हमारे घर को Feng Shui अथवा वास्तु जैसे किसी जंत्र-मंत्र की आवश्यकता ही न रहे.

इंटरनेट से धन्यवाद के साथ। 

Saturday, November 13, 2021

अल्हड़ सी रहने दो मुझको

अल्हड़ सी रहने दो मुझको
नटखट शैतानी रहने दो
नहीं बनना मुझको शहजादी
चिड़िया मनमानी रहने दो

क्यूं बन जाऊं मैं समझदार?
क्यूं अपना बचपन खो दूं मैं
क्यूं खुशियों को धूमिल कर दूं?
क्यूं जिम्मेदारी बो दूं मैं?
नही होना मुझको हिम जैसा
ठंडा सा पानी रहने दो। 
अल्हड़ सी रहने दो मुझको 
नटखट शैतानी रहने दो।

अरे जाने दो! क्यूं उमर गिनू?
क्यूं खुद को बदलकर वार करूं?
क्यूं नीरस बन सब रस त्यज दूं?
मैं क्यूं न खुद को प्यार करूं?
मैं तितली सी ,कई रंग मुझमें
मौजों का रवानी रहने दो
अल्हड़ सी रहने दो मुझको
 नटखट शैतानी रहने दो।

कभी प्रेम की बगिया में झूमूं
बादल से करूं लुक्का छिप्पी
कभी भिड़ जाऊं सूरज से भी
चंदा को भी दे दूं झप्पी
ऊबड़ खाबड़ पगडंडी मैं
जैसी हूं वैसी रहने दो।
अल्हड़ सी रहने दो मुझको
नटखट शैतानी रहने दो। 


ज्योतिकृति की ओर से धन्यवाद सहित

Thursday, November 11, 2021

चिन्तन यही चलता रहे

*चिन्तन यही चलता रहे*

गुम हो जाएं अंधेरे, मन का सूरज चमकता रहे
सबको सुख देने का, दिल में इरादा पलता रहे

बैर विरोध रखे चाहे, दुनिया तुझसे कितना भी
दिल में रहम का पौधा, सबके लिए फलता रहे

कर्महीन होकर बैठना, मत करना तुम स्वीकार
श्रेष्ठ कर्म के लिए तेरी, रगों में रक्त उबलता रहे

आत्म संशोधन करते जाना, समय निकालकर
रोज तुम्हारा स्वभाव, पवित्र होकर बदलता रहे

सबके जीवन में कैसे आए, सुख शान्ति भरपूर
तेरे मन बुद्धि में हमेशा, चिन्तन यही चलता रहे

*ॐ शान्ति*


इंटरनेट से धन्यवाद के साथ