Friday, November 26, 2021

ईश्वर बड़ा ही दयालु है।

एक राजा का एक विशाल फलों का बगीचा था। उसमें अनेक प्रकार के फल लगते थे। उस बगीचे की सारी देख-रेख एक किसान‌‌ अपने परिवार के साथ करता था और वो किसान हर दिन बगीचे के ताजे फल लेकर राजा‌ के राजमहल में जाता था।🌻🌼🥀🌼🌻

एक दिन किसान ने पेड़ों पर देखा कि नारियल, अनार, अमरूद और अंगूर आदि पक कर‌‌ तैयार हो रहे हैं। अनिश्चय की स्थिति में किसान सोचने लगा कि इन सारे पके फलों में आज कौन सा फल‌ महाराज को अर्पित करूं? 

उसे लगा कि आज राजा को अंगूर अर्पित करने चाहिए, क्योंकि वो बिल्कुल पक कर तैयार हैं, फिर उसने अंगूरों की टोकरी भर ली और राजा को देने चल पड़ा।

किसान जब राजमहल में पहुंचा, तो देखा महाराज किसी दूसरे ख्याल में खोये थे और कुछ नाराज भी लग रहे थे। किसान ने रोज की तरह मीठे रसीले अंगूरों की टोकरी राजा के सामने रख दी, और थोड़ी दूरी पर बैठ गया।

अब राजा उसी ख्यालों में टोकरी में से अंगूर उठाता, एक खाता और एक खींचकर किसान के माथे पर निशाना साधकर फेंक देता। राजा का अंगूर जब भी किसान के माथे या शरीर पर लगता था, तो किसान कहता- ईश्वर बड़ा ही दयालु है।

राजा फिर और जोर से अंगूर फेंकता था, और किसान फिर वही कहता- ईश्वर बड़ा ही दयालु है।

थोड़ी देर बाद जब राजा को एहसास हुआ, कि वो क्या कर रहा है और प्रत्युत्तर क्या आ रहा है, तो वो संभलकर बैठ गया और फिर किसान से कहा- मैं तुम्हें बार-बार अंगूर मार रहा हूं, और ये अंगूर तुम्हें लग भी रहे हैं, पर फिर भी तुम बार-बार यही क्यों कह रहे हो- ईश्वर बड़ा ही दयालु है।

किसान बड़ी ही नम्रता से बोला- महाराज जी! बागान में आज नारियल, अनार, अमरुद और अंगूर आदि फल तैयार थे, पर मुझे भान हुआ कि क्यों न मैं आज आपके लिए अंगूर ले चलूं। अब लाने को तो मैं नारियल, अनार और अमरुद भी ला सकता था, पर मैं अंगूर लाया। यदि अंगूर की जगह नारियल, अनार या अमरुद रखे होते, तो आज मेरा हाल क्या होता ?

इसीलिए मैं कह रहा था- ईश्वर बड़ा ही दयालु है।

#तात्पर्य: इसी प्रकार ईश्वर भी हमारी कई मुसीबतों को बहुत ही हल्का करके हमें उबार लेता है। लेकिन हम बोलते हैं कि मेरे साथ ही ऐसा क्यूं हुआ? मेरा क्या कसूर था? जैसे सवाल पूछकर हम उनका अनादर करते हैं। इसलिए कहा गया है कि ईश्वर जो भी करते हैं, वो अच्छा ही करते हैं। जो भी होता है वह अच्छे के लिए होता है। 🙏

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