Monday, June 6, 2022

प्रभु कृपा

प्रभु कृपा दिखाई नही देती लेकिन होती जरूर है

एक औरत रोटी बनाते बनाते "ॐ नम: शिवाय " का जाप कर रही थी...
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अलग से पूजा का समय कहाँ निकाल पाती थी बेचारी, तो बस काम करते करते ही!!
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एकाएक धड़ाम से जोरों की आवाज हुई और साथ मे दर्दनाक चीख, कलेजा धक से रह गया...
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जब आंगन में दौड़ कर झांकी तो आठ साल का चुन्नू चित्त पड़ा था, खुन से लथपथ।
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मन हुआ दहाड़ मार कर रोये। परंतु घर मे उसके अलावा कोई था नही, रोकर भी किसे बुलाती, फिर चुन्नू को संभालना भी तो था।
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दौड़ कर नीचे गई तो देखा चुन्नू आधी बेहोशी में माँ माँ की रट लगाए हुए है।
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अंदर की ममता ने आंखों से निकल कर अपनी मौजूदगी का अहसास करवाया।
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फिर 10 दिन पहले करवाये अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बावजूद ना जाने कहाँ से इतनी शक्ति आ गयी कि चुन्नू को गोद मे उठा कर पड़ोस के नर्सिंग होम की ओर दौड़ी।
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रास्ते भर भगवान् को जी भर कर कोसती रही, बड़बड़ाती रही, हे महादेव क्या बिगाड़ा था मैंने तुम्हारा, जो मेरे ही बच्चे को..!!
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खैर डॉक्टर साहब मिल गए और समय पर इलाज होने पर चुन्नू बिल्कुल ठीक हो गया।
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चोटें गहरी नही थी, ऊपरी थीं तो कोई खास परेशानी नही हुई...
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रात को घर पर जब सब टीवी देख रहे थे तब उस औरत का मन बेचैन था।
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भगवान् से विरक्ति होने लगी थी। एक मां की ममता प्रभुसत्ता को चुनौती दे रही थी।
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उसके दिमाग मे दिन की सारी घटना चलचित्र की तरह चलने लगी। कैसे चुन्नू आंगन में गिरा की एकाएक उसकी आत्मा सिहर उठी,
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कल ही तो पुराने चापाकल का पाइप का टुकड़ा आंगन से हटवाया है, ठीक उसी जगह था जहां चिंटू गिरा पड़ा था। अगर कल मिस्त्री न आया होता तो..?
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उसका हाथ अब अपने पेट की तरफ गया जहां टांके अभी हरे ही थे, ऑपरेशन के।
आश्चर्य हुआ कि उसने 20-22 किलो के चुन्नू को उठाया कैसे, कैसे वो आधा किलोमीटर तक दौड़ती चली गयी ?
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फूल सा हल्का लग रहा था चुन्नू। वैसे तो वो कपड़ों की बाल्टी तक छत पर नही ले जा पाती।
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फिर उसे ख्याल आया कि डॉक्टर साहब तो 2 बजे तक ही रहते हैं और जब वो पहुंची तो साढ़े 3 बज रहे थे,
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उसके जाते ही तुरंत इलाज हुआ, मानो किसी ने उन्हें रोक रखा था।
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उसका सर प्रभु चरणों मे श्रद्धा से झुक गया। अब वो सारा खेल समझ चुकी थी। मन ही मन प्रभु से अपने शब्दों के लिए क्षमा मांगी।
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तभी टीवी पर ध्यान गया तो प्रवचन आ रहा था..
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प्रभु कहते हैं, मैं तुम्हारे आने वाले संकट रोक नहीं सकता, लेकिन तुम्हे इतनी शक्ति दे सकता हूँ कि तुम आसानी से उन्हें पार कर सको, तुम्हारी राह आसान कर सकता हूँ। बस धर्म के मार्ग पर चलते रहो।

श्री राम चरित मानस में भी तुलसीदास जी ने लिखा है..

*तब तब प्रभु धरि बिबिध शरीरा।*
      *हरिहिं कृपानिधी सज्जन पीरा।।*

जब-जब भक्तो पर संकट आता है,,प्रभु विभिन्न रूपो में आकर अपने भक्तों का संकट हरते हैं..अक्सर लोग कहते भी है आज तो उन्होंने समय पे आकर जान बचा ली,,,कोन आया समय पर वही,,जब जब प्रभु धरि विविध शरीरा.. वो किसी भी रूप में आ सकता है..!!


🙏🙏🏽🙏🏾जय श्री राधे🙏🏼🙏🏿🙏🏻

इन्टरनेट से सधन्यवाद...

Thursday, June 2, 2022

व्यापार या दया

हमेशा की तरह दोपहर को सब्जीवाली दरवाजे पर आई और चिल्लाई, चाची, "आपको सब्जियां लेनी हैं?"

माँ हमेशा की तरह अंदर से चिल्लाई, "सब्जियों में क्या-क्या है?"

सब्जीवाली :- ग्वार, पालक, भिन्डी, आलू , टमाटर....

दरवाजे पर आकर माँ ने सब्जी के सिर पर भार देखा और पूछा, "पालक कैसे दिया?"

सब्जीवाली :- दस रुपए की एक गठी।

मां:- पच्चीस रुपए में चार दो।
सब्जीवाली:- चाची नहीं जमेगा।
मां : तो रहने दो।

सब्जीवाली आगे बढ़ गयी, पर वापस आ गई।
सब्जीवाली:- तीस रुपये में चार दूंगी।
मां:- नहीं, पच्चीस रुपए में चार लूंगी।
सब्जीवाली :- चाची बिलकुल नहीं जमेगा...

और वो फिर चली गयी.......

थोड़ा आगे जाकर वापस फिर लौट आई। दरवाजे पर माँ अब भी खड़ी थी, पता था सब्जीवाली फिर लौट कर आएगी। अब सब्जीवाली पच्चीस रुपये में चार देने को तैयार थी।

माँ ने सब्जी की टोकरी उतरने में मदद की, ध्यान से पलक कि चार गठीयाँ परख कर ली और पच्चीस रुपये का भुगतान किया। जैसे ही सब्जीवाली ने सब्जी का भार उठाना शुरू किया, उसे चक्कर आने लगा। माँ ने उत्सुकता से पूछा, "क्या तुमने खाना खा लिया?"

सब्जीवाली:- नई चाची, सब्जियां बिक जाएँ, तो किरना खरीदूंगी, फिर खाना बनाकर खाऊँगी।

माँ: एक मिनट रुको बस यहाँ। 

और फिर माँ ने उसे एक थाली में रोटी, सब्जी, चटनी, चावल और दाल परोस दिया, सब्जीवाली के खाने के बाद पानी दिया और एक केला भी थमाया।

सब्जीवाली धन्यवाद बोलकर चली गयी।

मुझसे नहीं रहा गया। मैंने अपनी माँ से पूछा, *"आपने इतनी बेरहमी से कीमत कम करवाई, लेकिन फिर जितना तुमने बचाया उससे ज्यादा का सब्जीवाली को खिलाया।"*

माँ हँसी और उन्होंने जो कहा वह मेरे दिमाग में आज तक अंकित है एक सीख कि तरह.....

*व्यापार करते समय दया मत करो, किन्तु दया करते समय व्यापर मत करो!*


इन्टरनेट से सधन्यवाद...

                      💞🙏💞