Tuesday, December 28, 2021

मां का पल्लू

गुरुजी ने कहा कि "मां के पल्लू"

पर निबन्ध लिखो..

तो लिखने वाले छात्र ने क्या खूब लिखा
     
       आदरणीय गुरुजी जी...
 
   माँ के पल्लू का सिद्धाँत माँ को गरिमामयी
 छवि प्रदान करने के लिए था.

  इसके साथ ही ... यह गरम बर्तन को 
   चूल्हा से हटाते समय गरम बर्तन को 
      पकड़ने के काम भी आता था.

        पल्लू की बात ही निराली थी.
           पल्लू पर तो बहुत कुछ
              लिखा जा सकता है.

 पल्लू ... बच्चों का पसीना, आँसू पोंछने, 
   गंदे कान, मुँह की सफाई के लिए भी 
          इस्तेमाल किया जाता था.

   माँ इसको अपना हाथ पोंछने के लिए
           तौलिया के रूप में भी
           इस्तेमाल कर लेती थी.

         खाना खाने के बाद 
     पल्लू से मुँह साफ करने का 
      अपना ही आनंद होता था.

      कभी आँख में दर्द होने पर ...
    माँ अपने पल्लू को गोल बनाकर, 
      फूँक मारकर, गरम करके 
        आँख में लगा देतीं थी,
   दर्द उसी समय गायब हो जाता था.

माँ की गोद में सोने वाले बच्चों के लिए 
   उसकी गोद गद्दा और उसका पल्लू
        चादर का काम करता था.

     जब भी कोई अंजान घर पर आता,
           तो बच्चा उसको 
  माँ के पल्लू की ओट ले कर देखता था.

   जब भी बच्चे को किसी बात पर 
    शर्म आती, वो पल्लू से अपना 
     मुँह ढक कर छुप जाता था.

    जब बच्चों को बाहर जाना होता,
          तब 'माँ का पल्लू' 
   एक मार्गदर्शक का काम करता था.

     जब तक बच्चे ने हाथ में पल्लू 
   थाम रखा होता, तो सारी कायनात
        उसकी मुट्ठी में होती थी.

       जब मौसम ठंडा होता था ...
  माँ उसको अपने चारों ओर लपेट कर 
    ठंड से बचाने की कोशिश करती.
          और, जब वारिश होती,
      माँ अपने पल्लू में ढाँक लेती.

  पल्लू --> एप्रन का काम भी करता था.
  माँ इसको हाथ तौलिया के रूप में भी 
           इस्तेमाल कर लेती थी.

 पल्लू का उपयोग पेड़ों से गिरने वाले 
  जामुन और मीठे सुगंधित फूलों को
     लाने के लिए किया जाता था.

     पल्लू में धान, दान, प्रसाद भी 
       संकलित किया जाता था.

       पल्लू घर में रखे समान से 
 धूल हटाने में भी बहुत सहायक होता था.

      कभी कोई वस्तु खो जाए, तो
    एकदम से पल्लू में गांठ लगाकर 
          निश्चिंत हो जाना , कि 
             जल्द मिल जाएगी.

       पल्लू में गाँठ लगा कर माँ 
      एक चलता फिरता बैंक या 
     तिजोरी रखती थी, और अगर
  सब कुछ ठीक रहा, तो कभी-कभी
 उस बैंक से कुछ पैसे भी मिल जाते थे.

       मुझे नहीं लगता, कि विज्ञान पल्लू का विकल्प ढूँढ पाया है.

पल्लू कुछ और नहीं, बल्कि
एक जादुई एहसास है. 

     सस्नेह संबंध रखने वाले अपनी माँ के इस प्यार और स्नेह को हमेशा महसूस करते हैं, जो कि आज की पीढ़ियों की समझ आता है कि नहीं पता नहीं।
🙏🙏🙏🙏🙏

इन्टरनेट से सधन्यवाद। 

Wednesday, December 22, 2021

मेरा जादुई घर

"एक दिन एक लेखक की पत्नी ने उससे कहा कि तुम बहुत किताबें लिखते हो, तो आज मेरे लिए कुछ लिखो और फिर मुझे विश्वास होगा कि तुम सच में एक अच्छे लेखक हो." ..

 यहाँ लेखक ने क्या लिखा है:

 *"मेरा जादुई घर"*

 *मैं, मेरी पत्नी और हमारे बच्चे, एक जादुई घर में रहते हैं..*.

 हम अपने गंदे कपड़े उतार देते हैं, जिन्हें अगले दिन साफ ​​कर दिया जाता है।

 हम स्कूल और ऑफिस से आते ही अपने जूते उतार देते हैं। फिर अगली सुबह हम साफ-सुथरे पॉलिश वाले जूते पहनते हैं...

 हर रात कूड़े की टोकरी कचरे से भरी होती है और अगली सुबह खाली हो जाती है।

 मेरे जादुई घर में, खेलते समय बच्चों के कपड़ों से बदबू आती है, लेकिन अगले ही पल वे साफ हो जाते हैं ... और उनके खेल उपकरण जल्दी से अपने बक्से में फिर से व्यवस्थित हो जाते हैं।

 मेरे जादुई घर में हर दिन मेरे और मेरे बच्चों के लिए पसंदीदा खाना बनता है...

 मेरे जादुई घर में, आप सुन सकते हैं "माँ, मम्मी मम्मा हर दिन लगभग सौ बार पुकारा जाता है ...
 मम्मा नेल क्लिपर कहाँ है...?
 माँ, मेरा गृहकार्य पूरा करो...
 मम्मा, भाई मुझे पीट रहा है...
 
 मम्मा, आज मेरा स्कूल लंच बॉक्स बनाना मत भूलना।
 माँ आज ही हलवा पूङी बनाओ
 माँ, मुझे आज चींटी नहीं मिल रही है। वह यहां रोज एक लाइन में चलती है
 माँ मेरे लिए एक सैंडविच बनाओ...मुझे भूख लगी है
 माँ मुझे वॉशरूम जाना है...
 मम्मा, मुझे पहले भूख लगी थी... अभी नहीं रात को सोने से पहले जो आखिरी शब्द सुना वो है "माँ" और सबसे पहला शब्द सुना है "माँ" जब मैं सुबह अपने जादुई घर में उठता हूँ ...

 बेशक, इस जादुई घर की ओर अब तक कोई भी आकर्षित नहीं हुआ है। हालांकि सभी के पास यह जादुई घर है ...
 और शायद ही कभी किसी ने इस घर के जादूगर का धन्यवाद किया होगा

 इन जादुई घरों का जादूगर कोई और नहीं बल्कि हर पत्नी और मां है। जो अपने ही घरों में करते हैं ऐसा जादू...

 भगवान हर उस पत्नी और मां को आशीर्वाद दें, जिनके धैर्य और अनंत कर्म हर घर में समृद्धि लाते हैं।
 
*🙏🙏 सभी माताओं, पत्नियों, बेटियों और बहनों को समर्पित।। ❤❤️*

Copied with thanks from Internet...

Friday, November 26, 2021

पॉजिटिविटी

✌🏻 *पॉजिटिविटी* 😇

एक नर्स लंदन में ऑपरेशन से दो घंटे पहले मरीज़ के कमरे में घुसकर कमरे में रखे गुलदस्ते को संवारने और ठीक करने लगी। 

ऐसे ही जब वो अपने पूरे लगन के साथ काम में लगी थी, तभी अचानक उसने मरीज़ से पूछा "सर आपका ऑपरेशन कौन सा डॉक्टर कर रहा है?"

नर्स को देखे बिना मरीज़ ने अनमने से लहजे में कहा "डॉ. जबसन।"

नर्स ने डॉक्टर का नाम सुना और आश्चर्य से अपना काम छोड़ते हुये मरीज़ के पास पहुँची और पूछा "सर, क्या डॉ. जबसन ने वास्तव में आपके ऑपरेशन को स्वीकार किया हैं?

मरीज़ ने कहा "हाँ, मेरा ऑपरेशन वही कर रहे हैं।"

नर्स ने कहा "बड़ी अजीब बात है, विश्वास नहीं होता"

परेशान होते हुए मरीज़ ने पूछा "लेकिन इसमें ऐसी क्या अजीब बात है?"

नर्स ने कहा "वास्तव में इस डॉक्टर ने अब तक हजारों ऑपरेशन किये हैं उसके ऑपरेशन में सफलता का अनुपात 100 प्रतिशत है । इनकी तीव्र व्यस्तता की वजह से इन्हें समय निकालना बहुत मुश्किल होता है। मैं हैरान हूँ आपका ऑपरेशन करने के लिए उन्हें फुर्सत कैसे मिली?

मरीज़ ने नर्स से कहा "ये मेरी अच्छी किस्मत है कि डॉ जबसन को फुरसत मिली और वह मेरा ऑपरेशन कर रहे हैं ।

नर्स ने एक बार बार कहा "यकीन मानिए, मेरा हैरत अभी भी बरकरार है कि दुनिया का सबसे अच्छा डॉक्टर आपका ऑपरेशन कर रहा है!!"

इस बातचीत के बाद मरीज को ऑपरेशन थिएटर में पहुंचा दिया गया, मरीज़ का सफल ऑपरेशन हुआ और अब मरीज़ हँस कर अपनी जिंदगी जी रहा है।

मरीज़ के कमरे में आई महिला कोई साधारण नर्स नहीं थी, बल्कि उसी अस्पताल की मनोवैज्ञानिक महिला डॉक्टर थी, जिसका काम मरीजों को मानसिक और मनोवैज्ञानिक रूप से संचालित करना था, जिसके कारण उसे संतुष्ट करना था जिस पर मरीज़ शक भी नहीं कर सकता था। और इस बार इस महिला डॉक्टर ने अपना काम मरीज़ के कमरे में गुलदस्ता सजाते हुये कर दिया था और बहुत खूबसूरती से मरीज़ के दिल और दिमाग में बिठा दिया था कि जो डॉक्टर इसका ऑपरेशन करेगा वो दुनिया का मशहूर और सबसे सफल डॉक्टर है जिसका हर ऑपरेशन सफल ऑपरेशन होता है और इसी पॉजिटिविटी ने मरीज के अन्दर के डर को खत्म कर दिया था। और वह ऑपरेशन थियेटर के अन्दर यह सोचकर गया कि अब तो मेरा आपरेशन सक्सेज होकर रहेगा , मैं बेकार में इतनी चिन्ता कर रहा था। 

*पॉजिटिविटी दीजिये लोगों को...क्योंकि इस समय यह काम ईश्वर की वन्दना से भी बढ़कर है।*
★★★★★

ईश्वर बड़ा ही दयालु है।

एक राजा का एक विशाल फलों का बगीचा था। उसमें अनेक प्रकार के फल लगते थे। उस बगीचे की सारी देख-रेख एक किसान‌‌ अपने परिवार के साथ करता था और वो किसान हर दिन बगीचे के ताजे फल लेकर राजा‌ के राजमहल में जाता था।🌻🌼🥀🌼🌻

एक दिन किसान ने पेड़ों पर देखा कि नारियल, अनार, अमरूद और अंगूर आदि पक कर‌‌ तैयार हो रहे हैं। अनिश्चय की स्थिति में किसान सोचने लगा कि इन सारे पके फलों में आज कौन सा फल‌ महाराज को अर्पित करूं? 

उसे लगा कि आज राजा को अंगूर अर्पित करने चाहिए, क्योंकि वो बिल्कुल पक कर तैयार हैं, फिर उसने अंगूरों की टोकरी भर ली और राजा को देने चल पड़ा।

किसान जब राजमहल में पहुंचा, तो देखा महाराज किसी दूसरे ख्याल में खोये थे और कुछ नाराज भी लग रहे थे। किसान ने रोज की तरह मीठे रसीले अंगूरों की टोकरी राजा के सामने रख दी, और थोड़ी दूरी पर बैठ गया।

अब राजा उसी ख्यालों में टोकरी में से अंगूर उठाता, एक खाता और एक खींचकर किसान के माथे पर निशाना साधकर फेंक देता। राजा का अंगूर जब भी किसान के माथे या शरीर पर लगता था, तो किसान कहता- ईश्वर बड़ा ही दयालु है।

राजा फिर और जोर से अंगूर फेंकता था, और किसान फिर वही कहता- ईश्वर बड़ा ही दयालु है।

थोड़ी देर बाद जब राजा को एहसास हुआ, कि वो क्या कर रहा है और प्रत्युत्तर क्या आ रहा है, तो वो संभलकर बैठ गया और फिर किसान से कहा- मैं तुम्हें बार-बार अंगूर मार रहा हूं, और ये अंगूर तुम्हें लग भी रहे हैं, पर फिर भी तुम बार-बार यही क्यों कह रहे हो- ईश्वर बड़ा ही दयालु है।

किसान बड़ी ही नम्रता से बोला- महाराज जी! बागान में आज नारियल, अनार, अमरुद और अंगूर आदि फल तैयार थे, पर मुझे भान हुआ कि क्यों न मैं आज आपके लिए अंगूर ले चलूं। अब लाने को तो मैं नारियल, अनार और अमरुद भी ला सकता था, पर मैं अंगूर लाया। यदि अंगूर की जगह नारियल, अनार या अमरुद रखे होते, तो आज मेरा हाल क्या होता ?

इसीलिए मैं कह रहा था- ईश्वर बड़ा ही दयालु है।

#तात्पर्य: इसी प्रकार ईश्वर भी हमारी कई मुसीबतों को बहुत ही हल्का करके हमें उबार लेता है। लेकिन हम बोलते हैं कि मेरे साथ ही ऐसा क्यूं हुआ? मेरा क्या कसूर था? जैसे सवाल पूछकर हम उनका अनादर करते हैं। इसलिए कहा गया है कि ईश्वर जो भी करते हैं, वो अच्छा ही करते हैं। जो भी होता है वह अच्छे के लिए होता है। 🙏

विश्वास (believe) तथा विश्वास (trust) में अंतर !!

*विश्वास (believe) तथा विश्वास (trust) में अंतर !!*

एक बार, दो बहुमंजिली इमारतों के बीच, बंधी हुई एक तार पर लंबा सा बाँस पकड़े, एक कलाकार चल रहा था। उसने अपने कन्धे पर अपना बेटा बैठा रखा था। सैंकड़ों, हज़ारों लोग दम साधे देख रहे थे।सधे कदमों से, तेज हवा से जूझते हुए, अपनी और अपने बेटे की ज़िंदगी दाँव पर लगाकर उस कलाकार ने दूरी पूरी कर ली ।

भीड़ आह्लाद से उछल पड़ी, तालियाँ, सीटियाँ बजने लगी। लोग उस कलाकार की फोटो खींच रहे थे, उसके साथ सेल्फी ले रहे थे। उससे हाथ मिला रहे थे ।   

*वो कलाकार माइक पर आया और भीड़ को बोला - क्या आपको विश्वास है कि मैं यह दोबारा भी कर सकता हूँ ??*

*भीड़ चिल्लाई, हाँ हाँ, तुम कर सकते हो।"*

उसने पूछा - क्या आपको विश्वास है ? भीड़ चिल्लाई - *हाँ पूरा विश्वास है !!* हम तो शर्त भी लगा सकते हैं कि तुम सफलता पूर्वक इसे दोहरा सकते हो।

*कलाकार बोला - पूरा पूरा विश्वास है ना। भीड़ बोली - हाँ, हाँ !!*

कलाकार बोला - *ठीक है, कोई मुझे अपना बच्चा दे दे !!* मैं उसे अपने कंधे पर बैठा कर रस्सी पर चलूँगा ।"
*फिर एक दम खामोशी, शांति, चुप्पी सी फैल गयी।*

कलाकार बोला - *डर गए...!* अभी तो आपको विश्वास था कि मैं कर सकता हूँ। असल में *आप का यह विश्वास (believe) है, मुझमेँ विश्वास (trust) नहीं है। दोनों विश्वासों में फर्क है साहेब !*

यही कहना है - *ईश्वर हैं !! ये तो विश्वास है !*
               परन्तु 
*ईश्वर में सम्पूर्ण विश्वास नहीं है।*

*You believe in God, but you don't, trust him।*
*👉अगर ईश्वर में पूर्ण विश्वास है तो चिंता, क्रोध और तनाव क्यों ???*
        *जरा सोचिए !!!*


From Internet with thanks..

Thursday, November 18, 2021

मैं भारत हूँ।

मैं भारत हूँ।
मैं वह भारत हूँ जिसने पिछले पाँच हजार वर्ष में कभी अपने किसी बेटे का नाम दुशासन नहीं रखा, क्योंकि उसने एक स्त्री का अपमान किया था।
मैं वह भारत हूँ जो कभी अपने बच्चों को रावण या कंश नाम नहीं देता, क्योंकि इन्होंने अपने जीवन में स्त्रियों के साथ दुर्व्यवहार किया था।
मैं वह भारत हूँ जहाँ कोई गांधारी अपने सौ पुत्रों की मृत्यु के बाद भी द्रौपदी पर क्रोध नहीं करती, बल्कि अपने बेटों की असभ्यता के लिए क्षमा मांगती है।
मैं वह भारत हूँ जहाँ निन्यानवे प्रतिशत बलात्कारियों को अपना गाँव छोड़ देना पड़ता है, और उसे धक्का कोई और नहीं, खुद उसके खानदान वाले देते हैं।
मैं वह भारत हूँ जहाँ गुस्सा आने पर सामान्य बाप बेटे को भले लात से मार दे, पर बेटी को थप्पड़ नहीं मारता!
मैं वह भारत हूँ जहाँ एक सामान्य बाप अपने समूचे जीवन की कमाई अपनी बेटी के लिए सुखी संसार रचने में खर्च कर देता है।
मैं वह भारत हूँ जहाँ अब भी बेटियाँ लछमी होती हैं। मैं वह भारत हूँ जहां बेटे बाप के हृदय में बसते हैं और बेटियां उसकी आत्मा में बसती हैं।

सभ्यता में असभ्यता के संक्रमण से उपजी आधुनिक कुरीतियों ने बेटियों के जन्म पर उपजने वाले उल्लास का रंग भले मार दिया हो, पर अब भी पिता सर्वाधिक खुश अपनी बेटी की मुस्कान देख कर ही होता है।
मैं वह भारत हूँ जिसके सौ करोड़ बच्चे अब भी नहीं लांघते मर्यादा की लकीर! उनमें बसते हैं, राम, बसते हैं कृष्ण, बसते हैं शिव... उनके बीच निर्भय हो कर मुस्कुराती है कोई राधा, कोई मीरा, कोई अनुसुइया...
मैं वह भारत हूँ जिसके हृदय में अब भी धर्म बहता है।

समाज की प्रतिष्ठा पराजित नहीं होती हिजड़ों के अश्लील ठहाकों से,

रोजी के लिए राष्ट्र पर प्रहार करने वाले चर्चित भले हों, प्रतिष्ठित नहीं होते।
मैं वह भारत हूँ, जिसकी प्रतिष्ठा स्वयं प्रकृति तय करती है, जिसके मस्तक पर तिलक स्वयं सूर्य लगाते हैं।
मैं भारत हूँ..
📌📌📌📌📌📌📌📌📌
कॉमेंट जरूर करें🙏🙏


इंटरनेट से सधन्यवाद 

सर्वोत्तम शास्त्र

एक व्यक्ति ने व्यापार में उन्नति की और लंदन में ज़मीन ख़रीद उस पर आलीशान घर बनाया.

भूमि पर पहले से ही एक खूबसूरत स्विमिंग पूल और पीछे की और एक 100 साल पुराना लीची का पेड़ था.

 उन्होंने वो भूमि उस लीची के पेड़ के कारण ही ख़रीदी थी, क्यूँकि उनकी पत्नी को लीचियाँ बहुत पसंद थी.

कुछ अरसे बाद Renovation के समय उनके कुछ मित्रों ने सलाह दी,उन्हें किसी वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए.

यद्यपि उसे ऐसी बातों पर विश्वास नहीं था, फिर भी मित्रों का मन रखने के लिए उन्होंने बात मान ली और Hongkong से 30 साल से वास्तु शास्त्र के बेहद प्रसिद्ध Master Cao को बुलवा लिया.

उन्हें Airport से लिया, दोनों ने शहर में खाना खाया और उसके बाद वो उन्हें अपनी कार में ले कर अपने घर की ओर चल दिए.

रास्ते में जब भी कोई कार उन्हें Overtake करने की कोशिश करती, वो उसे रास्ता दे देते.

Master Cao ने हंसते हुए कहा आप बहुत Safe driving करते हैं. उसने भी हंसते हुए प्रत्युत्तर में कहा लोग अक्सर Overtake तभी करते हैं जब उन्हें कुछ आवश्यक कार्य हो, इसलिए हमें उन्हें रास्ता देना चाहिए.

घर के पास पहुँचते-पहुँचते सड़क थोड़ी संकरी हो गयी और उसने कार थोड़ी और धीरे कर ली. तभी अचानक एक हंसता हुआ बच्चा गली से निकला और तेज़ी से भागते हुए उनकी कार के आगे से सड़क पार कर गया, वो उसी गति से चलते हुए उस गली की ओर देखते रहे, जैसे किसी का इंतज़ार कर रहे हों, तभी अचानक उसी गली से एक और बच्चा भागते हुए उनकी कार के आगे से निकल गया, शायद पहले बच्चे का पीछा करते हुए. Master Cao ने हैरान होते हुए पूछा - आपको कैसे पता कि कोई दूसरा बच्चा भी भागते हुए निकलेगा ?

उसने बड़े सहज भाव से कहा, बच्चे अक्सर एक-दूसरे के पीछे भाग रहे होते हैं और इस बात पर विश्वास करना संभव ही नहीं कि कोई बच्चा बिना किसी साथी के ऐसी चुहल और भाग दौड़ कर रहा हो,

Master Cao इस बात पर बहुत ज़ोर से हंसे और बोले की आप निस्संदेह बहुत सुलझे हुए व्यक्ति हैं.

घर के बाहर पहुँच कर दोनों कार से उतरे. तभी अचानक घर के पीछे की ओर से 7-8 पक्षी बहुत तेज़ी से उड़ते नज़र आए. यह देख कर उसने Master Cao से कहा कि यदि उन्हें बुरा न लगे तो क्या हम कुछ देर यहाँ रुक सकते हैं ?

Master Cao ने कारण जानना चाहा उसने कहा कि शायद कुछ बच्चे पेड़ से लीचियाँ चुरा रहे होंगे और हमारे अचानक पहुँचने से डर के मारे बच्चों में भगदड़ न मच जाए, इससे पेड़ से गिर कर किसी बच्चे को चोट भी लग सकती है.

Master Cao कुछ देर चुप रहे, फिर संयत आवाज़ में बोले मित्र, इस घर को किसी वास्तु शास्त्र जाँच और उपायों की आवश्यकता नहीं है.

उसने बड़ी हैरानी से पूछा ऐसा क्यूँ ?

Master Cao - जहां आप जैसे विवेकपूर्ण व आसपास के लोगों की भलाई सोचने वाले व्यक्ति उपस्थित/विद्यमान होंगे - वो स्थान/संपत्ति वास्तु शास्त्र नियमों के अनुसार बहुत पवित्र-सुखदायी-फलदायी होगी.

जब हमारा मन व मस्तिष्क दूसरों की ख़ुशी व शांति को प्राथमिकता देने लगे, तो इससे दूसरों को ही नहीं, स्वयं हमें भी मानसिक लाभ-शांति-प्रसन्नता मिलती है

जब कोई व्यक्ति सदा स्वयं से पहले दूसरों का भला सोचने लगे तो अनजाने में ही उसे संतत्व प्राप्त हो जाता है जिसके कारण दूसरों का भला हो रहा होता है व उसे ज्ञानबोध मिल जाता है.

भले ही हम प्रण न करें परंतु क़ोशिश अवश्य करें कि हममें भी ऐसे कुछ गुण विकसित हो जाएं कि हमारे घर को Feng Shui अथवा वास्तु जैसे किसी जंत्र-मंत्र की आवश्यकता ही न रहे.

इंटरनेट से धन्यवाद के साथ। 

Saturday, November 13, 2021

अल्हड़ सी रहने दो मुझको

अल्हड़ सी रहने दो मुझको
नटखट शैतानी रहने दो
नहीं बनना मुझको शहजादी
चिड़िया मनमानी रहने दो

क्यूं बन जाऊं मैं समझदार?
क्यूं अपना बचपन खो दूं मैं
क्यूं खुशियों को धूमिल कर दूं?
क्यूं जिम्मेदारी बो दूं मैं?
नही होना मुझको हिम जैसा
ठंडा सा पानी रहने दो। 
अल्हड़ सी रहने दो मुझको 
नटखट शैतानी रहने दो।

अरे जाने दो! क्यूं उमर गिनू?
क्यूं खुद को बदलकर वार करूं?
क्यूं नीरस बन सब रस त्यज दूं?
मैं क्यूं न खुद को प्यार करूं?
मैं तितली सी ,कई रंग मुझमें
मौजों का रवानी रहने दो
अल्हड़ सी रहने दो मुझको
 नटखट शैतानी रहने दो।

कभी प्रेम की बगिया में झूमूं
बादल से करूं लुक्का छिप्पी
कभी भिड़ जाऊं सूरज से भी
चंदा को भी दे दूं झप्पी
ऊबड़ खाबड़ पगडंडी मैं
जैसी हूं वैसी रहने दो।
अल्हड़ सी रहने दो मुझको
नटखट शैतानी रहने दो। 


ज्योतिकृति की ओर से धन्यवाद सहित

Thursday, November 11, 2021

चिन्तन यही चलता रहे

*चिन्तन यही चलता रहे*

गुम हो जाएं अंधेरे, मन का सूरज चमकता रहे
सबको सुख देने का, दिल में इरादा पलता रहे

बैर विरोध रखे चाहे, दुनिया तुझसे कितना भी
दिल में रहम का पौधा, सबके लिए फलता रहे

कर्महीन होकर बैठना, मत करना तुम स्वीकार
श्रेष्ठ कर्म के लिए तेरी, रगों में रक्त उबलता रहे

आत्म संशोधन करते जाना, समय निकालकर
रोज तुम्हारा स्वभाव, पवित्र होकर बदलता रहे

सबके जीवन में कैसे आए, सुख शान्ति भरपूर
तेरे मन बुद्धि में हमेशा, चिन्तन यही चलता रहे

*ॐ शान्ति*


इंटरनेट से धन्यवाद के साथ 

Saturday, March 6, 2021

कुछ ध्यान देने योग्य बातें..!

💟- 'कुछ ध्यान देने योग्य बातें' -💟

1. लगातार दो बार से अधिक किसी को कॉल न करें। यदि वे आपकी कॉल नहीं उठाते हैं, तो मान लें कि इस वक्त उनके पास कुछ महत्वपूर्ण कार्य है।

2. उधार लिया धन पहले लौटाएँ और दूसरे व्यक्ति के याद दिलाने या माँगने का इन्तजार ना करें ! यह आपकी ईमानदारी और अच्छे चरित्र को दर्शाता है।

3. जब कोई आपको लंच / डिनर दे रहा हो तो कभी भी मेनू पर महंगे पकवान का ऑर्डर न करें। यदि संभव हो तो उन्हें ही आपके लिए अपनी पसंद का ऑर्डर करने के लिए कहें।

4. ओह! 'तो आपने अभी तक शादी नहीं की है'? या अरे! 'क्या आपके बच्चे नहीं हैं’ जैसे अजीबो गरीब सवाल नहीं पूछें।
'आपने घर क्यों नहीं खरीदा'? या 'आप कार क्यों नहीं खरीदते'? यह आपकी समस्या नहीं है।

5. अपने पीछे आने वाले व्यक्ति के लिए हमेशा दरवाजा खोलें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह लड़का है या लड़की, सीनियर है या जूनियर। आप सार्वजनिक रूप से किसी के भी साथ अच्छा व्यवहार करें।

6. यदि आप किसी दोस्त के साथ टैक्सी लेते हैं, और वह अभी भुगतान करता है, तो अगली बार आप भुगतान करने का प्रयास करें।

7. विभिन्न प्रकार के विचारों का सम्मान करें। याद रखें कि आपके लिए जो 6 दिख रहा है वो सामने से आने वाले लोगों को 9 दिखाई देगा।  

8. लोगों से बात करते समय बीच में कभी बाधा न डालें। उन्हें अपनी बात कहने की अनुमति दें।  

9. यदि आप किसी को चिढ़ाते हैं, और वे इसका आनंद नहीं लेते हैं, तो इसे रोकें और फिर कभी ऐसा न करें।  

10. जब कोई आपकी मदद कर रहा हो तो "धन्यवाद" जरूर कहें।

11. सार्वजनिक रूप से प्रशंसा करें! जरूरी हो तभी निजी तौर पर आलोचना करें।

12. किसी के वजन पर टिप्पणी करने का कभी कोई मतलब नहीं है। बस कहें, "आप शानदार दिखते हैं।" 

13. जब कोई आपको अपने मोबाईल पर एक फोटो दिखाता है, तो स्वयं उसके मोबाइल पर बाएं या दाएं स्वाइप न करें। आपको नहीं पता कि आगे उसका निजी फोटो है।

14. यदि कोई सहकर्मी आपको बताता है कि उसे डॉक्टर से मिलना है, तो यह न पूछें कि किस लिये मिलना है?, बस कहें "मुझे आशा है कि आप ठीक हैं"। अपनी व्यक्तिगत बीमारी बताने के लिए उन्हें असहज स्थिति में न डालें। 

15. अगर आप अपने से नीचे के लोगों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करते हैं तो लोग नोटिस करेंगे।

16. यदि कोई व्यक्ति आपसे सीधे बात कर रहा है, तो अपने फोन को देखना अशिष्टता है.

17. जब तक आप से नहीं पूछा जाये तब तक कभी भी बिन मांगे सलाह न दें.

18. जब किसी से लंबे समय के बाद मिल रहे हो तो, जब तक वे इसके बारे में बात न करें, तब तक उनसे उनकी उम्र और वेतन न पूछें.

19. अपने काम से काम रखें.

20. अपने धूप के चश्मे को हटा दें जिस समय आप किसी से सड़क पर बात कर रहे हैं। यह सम्मान की निशानी है। नेत्र संपर्क आपके भाषण में महत्वपूर्ण है।

21. गरीबों के बीच में अपने धन के बारे में कभी बात न करें।

22. मोबाइल का उतना ही उपयोग करें जितना जरूरी हो ...
नेट चलाने का एक समय अवश्य निश्चित करें ...! 

23. कोशिश करें प्रतिदिन कोई ना कोई ऐसा एक काम जरूर करें कि दिल खुश हो जाए ! 

और अंत में...

ऐसी पोस्ट साझा करें। जिससे कि आपने जो कुछ सीखा है उससे दूसरों को भी सीखने में मदद मिले।

इसे प्रसारित करें। और भावी पीढ़ी को शिक्षा दें

एक अच्छे चरित्र निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है

━━━━━━━━━✿━━━━━━━━━

Thursday, February 18, 2021

विवाहयोग्य सर्वगुणसंपन्न रिश्ता

🙏🏻 विवाहयोग्य युवक युवती के परिवार वाले ध्यान से पढ़े🙏🏻

एक 26 वर्षीय लड़की के पिताजी को उसके नजदीक के परिजन ने एक योग्य वर के बारे में बात की
लड़का शहर में नौकरी करता है, दिखने में सुस्वरूप है.
अच्छे संस्कार वाला है
लड़के के माँ बाप भी सुस्थिति में हैं
लड़के की उम्र 29 साल है
सब अनुरुप है
लड़की के पिताजी- : वो सब तो ठीक है,पर लड़के को पगार कितनी है?
मध्यस्थ : अच्छी है 25 हजार रुपये.
लड़की के पिताजी:- ह् !! शहर में 25 हजार से क्या होता है.
मध्यस्थ : दूसरा एक लड़का है, दिखने में ठीक है, पर पगार अच्छा है।पचास हजार !!
सिर्फ उसकी उम्र थोड़ी ज्यादा है,वह 32 साल का है.
लड़की का पिताजी : पचास हजार ?
इस शहरमें 1BHK फ्लैट भी क्या वह खरीद सकता है क्या 50 हजार में?
तो मेरी बेटी को कैसे खुश रख पायेगा वो.
मध्यस्थ : और एक स्थल है. लड़का दिखने मे ठीक-ठाक है.
सिर्फ थोड़ा मोटा है.थोडे से बाल झड़ गए है.(दिमाग से काम कर कर के),पगार भी अच्छा १ लाख है, पर उम्र मात्र 34 साल है !!
देखो अगर आपको जँचता होगा तो.
लड़की के पिताजी : क्या चाटना है 1 लाख पगार को.

मेरी कन्या के लिये तो सुन्दर ही लड़का देखूंगा.

कोई और भी कोई अच्छा बताइये जी लड़का कम उम्र का हो. पर अच्छी पगार कमाता हो. घर भी अच्छा होना चाहिए और दिखने में भी स्मार्ट हो.

ऐसे ही बातो में 4/5 साल निकल गए फिर वह मध्यस्थ को बुलाकर बात हुई....

मध्यस्थ : अब आपकी लड़की हेतु योग्य वर देखना मेरे बस की बात नही.*अब मेरे पास आपकी लड़की के अनुरूप 38/40 साल वाले लड़को के ही रिश्ते है, आप बोलो तो बताऊ.
लड़की का बाप: कोई भी अच्छा सा घर बताइये इस उम्र में कही हो जाये ये क्या कम बात है लड़की की उम्र भी तो 31-32 हो रही है!!
अब मेरी लड़की ही अनुरूप नहीं रही तो मैं ज्यादा क्या अपेक्षा रखूँ!!

नोट:-
घर के बड़े बुर्जुगों से निवेदन है कि लड़की और लड़को की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करके उन्हें बर्बाद मत कीजिए। लड़की का अपना घर उसका ससुराल ही होने वाला होता है तो जरा समय से सही उम्र में भेज के उसे अपने सपनों के घर को सजाने-संवारने दीजिये।

आप अपने आस पास देखेंगे तो पायेंगे की बहुत से लोग शादी के बाद धनवान बने हैं

क्योंकि बहुत बार भाग्य शादी के बाद उदय होता है तो बहुत बार शादी के बाद व्यक्ति का सब कुछ चला जाता है.

इसलिए पैसे को आधार नहीं बनाये

शुरू में पगार कम है तो भी शादी के बाद लड़के लड़कियों में नयी उमंग आती है।

उनका संसार सुचारू रूप से व्यतीत होने के लिए दोनों मिल जुलकर मेहनत एवं विचार करके आर्थिक एवं सांसारिक अड़चनों पर मात करते है.
उनके माता पिता भी साथ सपोर्ट करते है

लड़के लड़कियों को तकलीफ सहन करने के लिये कोई माँ-बाप हवा पर छोड़ते है ऐसा नहीं है.

 इसका ध्यान लड़कियों के माता पिता को होना चाहिए

लड़का लड़की समान चलने वाले युग मे आप भी थोड़ा लड़की एवं लड़के के पीछे खड़े रहिये..

पर कृपया करके लड़के-लड़कियों की शादी,योग्य उम्र में होने दीजिए,
उनकी भी भावनाओं एवं इच्छाओं का ध्यान रखिए।

उम्र भर पैसा तो आता जाता रहेगा पर तारुण्य और उम्र वापस नहीं आएगी.......

आपकी सोच पूरे समाज के कुटुंब व्यवस्था को बचा सकती है.
जो कि भविष्य मे खतरे में पड़ने की संभावना अभी दिख रही है.
देखिये सोच कर...🙏

पहले 20 साल की उम्र में एक विवाहित स्त्री- पुरुष परिवार चलाना स्टार्ट कर दिए थे।

अब उनके ही बच्चे 35-40 साल में कुंवारे हैं बैठे हैं घर पर है।

और आज भी अपनी बेटी का जीवन बर्बाद कर सीना ताने अपनी बेटी के लिए सरकारी दामाद की तलाश कर रहे हैं ।

आज 60-65 साल का ही *मनुष्य का जीवन* हो गया है, भविष्य में तो और भी कम हो जाएगा जीवन.......

अगर वे 38-40 साल की उम्र में शादी कर अपने आने वाले बच्चों की शादी करने तक भी जीवन रहना असंभव हो जाएगा नाती- पोता तो बहुत दूर की बात है🙏🏻

*समय रहते सोच बदले और अपने बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए प्रयास करें......*

🙏🏻 सभी को शेयर करें🙏🏻

लेखक: 
इन्टरनेट पर से सधन्यवाद प्राप्त..

Saturday, January 23, 2021

आप जमा करेंगे वही आपको आखरी समय काम आयेगा..!

.

            ''आप जमा करेंगे वही आपको 
              आखरी समय काम आयेगा''
      ________________________________


1 दिन एक राजा ने अपने 3 मन्त्रियो को दरबार में बुलाया, और तीनो को आदेश दिया के एक एक थैला ले कर बगीचे में जाएं और वहां से अच्छे अच्छे फल जमा करें .  

वो तीनो अलग अलग बाग़ में प्रविष्ट हो गए ,

पहले मन्त्री ने कोशिश की के राजा के लिए उसकी पसंद के अच्छे अच्छे और मज़ेदार फल जमा किए जाएँ ,उस ने काफी मेहनत के बाद बढ़िया और ताज़ा फलों से थैला भर लिया ,

दूसरे मन्त्री ने सोचा राजा हर फल का परीक्षण तो करेगा नहीं , इस लिए उसने जल्दी जल्दी थैला भरने में ताज़ा ,कच्चे ,गले सड़े फल भी थैले में भर लिए ,

तीसरे मन्त्री ने सोचा राजा की नज़र तो सिर्फ भरे हुवे थैले की तरफ होगी वो खोल कर देखेगा भी नहीं कि इसमें क्या है , उसने समय बचाने के लिए जल्दी जल्दी इसमें घास,और पत्ते भर लिए और वक़्त बचाया .

दूसरे दिन राजा ने तीनों मन्त्रियो को उनके थैलों समेत दरबार में बुलाया और उनके थैले खोल कर भी नही देखे और आदेश दिया कि , तीनों को उनके थैलों समेत दूर स्थान के एक जेल में ३ महीने क़ैद कर दिया जाए .

अब जेल में उनके पास खाने पीने को कुछ भी नहीं था सिवाए उन थैलों के ,

तो जिस मन्त्री ने अच्छे अच्छे फल जमा किये वो तो मज़े से खाता रहा और 3 महीने गुज़र भी गए ,

फिर दूसरा मन्त्री जिसने ताज़ा ,कच्चे गले सड़े फल जमा किये थे, वह कुछ दिन तो ताज़ा फल खाता रहा फिर उसे ख़राब फल खाने पड़े ,जिस से वो बीमार हो गया और बहुत तकलीफ उठानी पड़ी .

और तीसरा मन्त्री जिसने थैले में सिर्फ घास और पत्ते जमा किये थे वो कुछ ही दिनों में भूख से मर गया .

अब आप अपने आप से पूछिये कि आप क्या जमा कर रहे हो ??

आप इस समय जीवन के बाग़ में हैं , जहाँ चाहें तो अच्छे कर्म जमा करें .चाहें तो बुरे कर्म...

मगर याद..रहे जो आप जमा करेंगे वही आपको आखरी समय काम आयेगा क्योंकि दुनिया क़ा राजा आपको चारों ओर से देख रहा है..