Sunday, February 13, 2022

कूटने के फायदे

कूटने के फायदे 😀😀😀

एक बुजुर्ग से एक आदमी बोला कि पहले इतने लोग बीमार नहीं होते थे जितने आज हो रहे हैं ।

बुजुर्ग ने अपने तजुर्बे से उसको बोला कि भाई जी पहले कूटने की परंपरा थी जिससे इम्यूनिटी पावर मजबूत रहती थी। पहले हम हर चीज को कूटते थे !

जबसे हमने कूटना छोड़ा है तब से हम सब बीमार होने लग गए जैसे पहले खेत से अनाज को कूट कर घर लाते थे। घर पर ही धान कूटकर चावल निकलता था !

घर में मिर्च मसाला कूटते थे । कपड़े भी कूटकूट कर धोते थे।

कभी कभी तो बड़ा भाई भी छोटे को कूट देता था और जब छोटा भाई उसकी शिकायत मां से करता था तो मां बड़े भाई को कूट देती थी। अगर गलती से भी किसी का छोटा सा भी नुकसान हो गया तो फिर पिताजी जमकर कूटते थे !

यानी कुल मिलाकर दिन भर कूटने का काम चलता रहता था !

स्कूल में मास्टरजी तो कूटते रहते थे । कभी अगर गिर पड़े और चोट लग गई तो फिर पिता जी कूटते थे!

जहां देखो वहां पर कूटने का काम चलता रहता था तो बीमारी नजदीक नहीं आती थी !

सबकी इमुनिटी पावर मजबूत रहती थी !

जब कभी बच्चा सर्दी में नहाने से मना करता था तो मां पहले कूट कर उसकी इमुनिटी पावर बढ़ाती थी और फिर नहलाती थी 👌

 वर्तमान समय में इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए कूटने की परंपरा फिर से चालू होनी चाहिए 😝😀😆



इन्टरनेट से सधन्यवाद..

Friday, February 11, 2022

मोहमाया के झूठे बंधन

मोहमाया के झूठे बंधन

एक रात एक बड़ी घनी अंधेरी रात में एक काफिला एक रेगिस्तानी सराय में जाकर ठहरा।

 उस काफिले के पास सौ ऊंट थे। उन्होंने ऊंट बांधे, खूंटियां गड़ाईं, लेकिन आखिर में पाया कि एक ऊंट अनबंधा रह गया है। उनकी एक खूंटी और एक रस्सी कहीं खो गई थी। आधी रात, बाजार बंद हो गए थे।

 अब वे कहां खूंटी लेने जाएं, कहां रस्सी! तो उन्होंने सराय के मालिक को उठाया और उससे कहा कि बड़ी कृपा होगी, एक खूंटी और एक रस्सी हमें चाहिए, हमारी खो गई है। निन्यानबे ऊंट बंध गए, सौवां अनबंधा है–अंधेरी रात है, वह कहीं भटक सकता है। 

उस बूढ़े आदमी ने कहाः घबड़ाओ मत। मेरे पास न तो रस्सी है, और न खूंटी। लेकिन बड़े पागल आदमी हो। इतने दिन ऊंटों के साथ रहते हो गए, तुम्हें कुछ भी समझ न आई। जाओ और खूंटी गाड़ दो और रस्सी बांध दो और ऊंट को कह दो–सो जाए। 

उन्होंने कहाः पागल हम हैं कि तुम? अगर खूंटी हमारे पास होती तो हम तुम्हारे पास आते क्यों? कौन सी खूंटी गाड़ दें? उस बूढ़े आदमी ने कहाः बड़े नासमझ हो, ऐसी खूंटियां भी गाड़ी जा सकती हैं जो न हों, और ऐसी रस्सियां भी बांधी जा सकती हैं जिनका कोई अस्तित्व न हो। तुम जाओ, सिर्फ खूंटी ठोकने का उपक्रम करो। अंधेरी रात है, आदमी धोखा खा जाता है, ऊंट का क्या विश्वास? ऊंट का क्या हिसाब? जाओ ऐसा ठोको, जैसे खूंटी ठोकी जा रही है। गले पर रस्सी बांधों, जैसे कि रस्सी बांधी जाती है। और ऊंट से कहो कि सो जाओ। ऊंट सो जाएगा। अक्सर यहां मेहमान उतरते हैं, उनकी रस्सियां खो जाती हैं। और मैं इसलिए तो रस्सियां-खूंटियां रखता नहीं, उनके बिना ही काम चल जाता है।

मजबूरी थी, उसकी बात पर विश्वास तो नहीं पड़ता था। लेकिन वे गए, उन्होंने गड्ढा खोदा, खूंटी ठोकी–जो नहीं थी। सिर्फ आवाज हुई ठोकने की, ऊंट बैठ गया। खूंटी ठोकी जा रही थी। रोज-रोज रात उसकी खूंटी ठुकती थी, वह बैठ गया। उसके गले में उन्होंने हाथ डाला, रस्सी बांधी। रस्सी खूंटी से बांध दी गई–रस्सी, जो नहीं थी। ऊंट सो गया।

 वे बड़े हैरान हुए! एक बड़ी अदभुत बात उनके हाथ लग गई। सो गए। सुबह उठे, सुबह जल्दी ही काफिला आगे बढ़ना था। उन्होंने निन्यानबें ऊंटों की रस्सियां निकालीं, खूंटियां निकालीं–वे ऊंट खड़े हो गए। और सौवें की तो कोई खूंटी थी नहीं जिसे निकालते। उन्होंने उसकी खूंटी न निकाली। उसको धक्के दिए। वह उठता न था, वह नहीं उठा। 

उन्होंने कहाः हद हो गई, रात धोखा खाता था सो भी ठीक था, अब दिन के उजाले में भी! इस मूढ़ को खूंटी नहीं दिखाई पड़ती कि नहीं है? वे उसे धक्के दिए चले गए, लेकिन ऊंट ने उठने से इनकार कर दिया। ऊंट बड़ा धार्मिक रहा होगा। 

वे अंदर गए, उन्होंने उस बूढ़े आदमी को कहा कि कोई जादू कर दिया क्या? क्या कर दिया तुमने, ऊंट उठता नहीं। 

उसने कहाः बड़े पागल हो तुम, जाओ पहले खूंटी निकालो। पहले रस्सी खोलो। उन्होंने कहाः लेकिन रस्सी हो तब…। उन्होंने कहाः रात कैसे बांधी थी? वैसे ही खोलो। गए मजबूरी थी। जाकर उन्होंने खूंटी उखाड़ी, आवाज की, खूंटी निकली, ऊंट उठ कर खड़ा हो गया। रस्सी खोली, ऊंट चलने के लिए तत्पर हो गया। 

उन्होंने उस बूढ़े आदमी को धन्यवाद दिया और कहाः बड़े अदभुत हैं आप, ऊंटों के बाबत आपकी जानकारी बहुत है।

उन्होंने कहा कि नहीं, यह ऊंटों की जानकारी से सूत्र नहीं निकला, यह सूत्र आदमियों की जानकारी से निकला है। आदमी ऐसी खूटियों में बंधा होता है जो कहीं भी नहीं हैं। और ऐसी रस्सियों में जिनका कोई अस्तित्व नहीं है और जीवन भर बंधा रहता है। चिल्लाता हैः मैं कैसे मुक्त हो जाऊं ? कैसे परमात्मा को पा लूं, कैसे आत्मा को पा लूं? मुझे मुक्ति चाहिए, मोक्ष चाहिए–चिल्लाता है पर हिलता नहीं अपनी जगह से, क्योंकि खूंटियां उसे बांधे हैं।



इन्टरनेट से सधन्यवाद 

Wednesday, February 9, 2022

मन पर विजय हम पा सकें

मन पर विजय हम पा सकें सुख शांति जग में ला सकें

मन पर विजय हम पा सकें सुख शांति जग में ला सकें

सबके हृदय में प्रेम हो हम दीप ऐसा जला सकें

मन पर विजय हम पा सकें सुख शांति जग में ला सकें

सबके हृदय में प्रेम हो हम दीप ऐसा जला सकें

है ये प्रार्थना मेरे दाता.. है ये प्रार्थना मेरे दाता

आ.... आ....

 

सबका भला  हम कर सकें बस ये हमारा कर्म हो

सबका भला  हम कर सकें बस ये हमारा कर्म हो

जग में दुखी ना  रहे कोई मानव की सेवा धर्म हो

जग में दुखी ना  रहे कोई मानव की सेवा धर्म हो

सबके लबों पे रहे हंसी हम गीत ऐसा गा सकें

सबके हृदय में प्रेम हो हम दीप ऐसा जला सकें

मन पर विजय हम पा सकें सुख शांति जग में ला सकें

सबके हृदय में प्रेम हो हम दीप ऐसा जला सकें

है ये प्रार्थना मेरे दाता.. है ये प्रार्थना मेरे दाता

आ.... आ....

 

अन्याय से लड़ते रहें हम न्याय को सम्मान दें

अन्याय से लड़ते रहें हम न्याय को सम्मान दें

हम सत्य पथ  पर डटे रहें और सद्गुणों को मान दें

हम सत्य पथ  पर डटे रहें और सद्गुणों को मान दें

नफरत का बादल छंट सके उजियारा ऐसा ला सकें

सबके हृदय में प्रेम हो हम दीप ऐसा जला सकें

मन पर विजय हम पा सकें सुख शांति जग में ला सकें

सबके हृदय में प्रेम हो हम दीप ऐसा जला सकें

है ये प्रार्थना मेरे दाता.. है ये प्रार्थना मेरे दाता

आ.... आ....

 

मन में अटल विश्वास हो अंतर में तेरा प्रकाश हो

मन में अटल विश्वास हो अंतर में तेरा प्रकाश हो

तुम दूर हो या पास हो दाता हमारी आस हो

तुम दूर हो या पास हो दाता हमारी आस हो

हमें ज्ञान दो इतना प्रभु जीवन जो अमर बना सकें

सबके हृदय में प्रेम हो हम दीप ऐसा जला सकें

मन पर विजय हम पा सकें सुख शांति जग में ला सकें

सबके हृदय में प्रेम हो हम दीप ऐसा जला सकें

है ये प्रार्थना मेरे दाता.. है ये प्रार्थना मेरे दाता

आ.... आ....

 

जिंदा रहे इंसानियत और प्रेम की गंगा बहे

जिंदा रहे इंसानियत और प्रेम की गंगा बहे

जग एक ही परिवार है सब एक स्वर मे यही कहे

जग एक ही परिवार है सब एक स्वर मे यही कहे

खिले फूल मन में प्यार की जग को वो बाग बना सकें

सबके हृदय में प्रेम हो हम दीप ऐसा जला सकें

मन पर विजय हम पा सकें सुख शांति जग में ला सकें

सबके हृदय में प्रेम हो हम दीप ऐसा जला सकें

है ये प्रार्थना मेरे दाता.. है ये प्रार्थना मेरे दाता

आ.... आ....


Saturday, February 5, 2022

बेराजगार इंजीनियर 🤣🤣🤣

आइए आज आपको हंसाते हैं 😂😁
एक बेराजगार इंजीनियर काफी दिनों से नौकरी तलाश
रहा था,
पर नौकरी उस लड़की की तरह व्यवहार कर रही थी जो
क्लास के सभी लड़को को डेट कर चुकी थी लेकिन सिर्फ
उसी से कतरा रही थी।
.😜😜😜
उसके साथ के सारे mba, mca जॉब पर लग चुके थे लेकिन उसे
हर जगह से ठुकराया जा चुका था। माँ बाप ने भी
जेब खर्च देना बंद कर दिया था और गर्लफ्रेंड तो किसी
और से शादी कर दो बच्चों की अम्मा बन चुकी थी।
.😜😜😜😜
ऐसी मुश्किल परिस्थिति में इंजिनीयर ने तय किया कि अब
जो भी काम मिले कर लूँगा कम से कम दो वक़्त की रोटी
तो नसीब होगी।
.😜😜😜😛😛
तभी बिल्ली के भाग से छींका टूटा और उसे पता चला
कि सर्कस में एक मैनेजर की जगह खाली है।
इंजीनियर को लगा कि चाहे जो हो जाये इस नौकरी को
हाथ से जाने न दूंगा।
.😜😜😜😜😜
उसने इंटरव्यू दिया तो देखा कि सर्कस में तो उसके जैसे
इंजीनियर्स की लाइन लगी है, वो ये देख निराश हो गया।
.😂😂😂😂
सर्कस का मालिक उसकी निराशा समझ गया, वो भला
आदमी था उसने इंजीनियर के कान में कहा कि एक नौकरी
है, करना चाहो तो दो वक़्त के खाने और 30 हजार रूपये
महीने पे दे सकता हूँ।
.😛😛😜😜
इंजीनियर इस काम के लिए ख़ुशी ख़ुशी तैयार हो गया और
एक वक़्त का भर पेट खाना खाने के बाद मालिक ने उसे
अपने कमरे में बुलाया और बन्दर🙊 की ड्रेस देकर कहा - इसे
पहन लो और किसी पेड़ की डाली में चढ़ कर बैठ जाओ, जब
लोग आये तो उन्हें तरह तरह के करतब दिखाओ,
अपनी हरकतों से उन्हें हँसाओ...
इंजीनियर ने चुपचाप बन्दर की ड्रेस पहन ली और पेड़ पर चढ़
कर लोगो का मनोरंजन करने लगा।
.😄😄😄😄😄
बहुत से लोग आते, उसे देखते और खुश होते। कुछ उसे केला देते
तो कुछ मूंगफलियां खिलाते। कुछ इतने कमीने होते कि उसे
पत्थर मारते, चिढ़ाते।
.😜😜😜😜😜
एक दिन सर्कस देखने उसी के कॉलेज के जूनियर्स का ग्रुप
आया था।
वो उन्हें देख कर बहुत खुश हो गया और सोचा कि आज
इनका खूब मनोरंजन करूँगा।
लेकिन ये नए नवेले इंजीनियर्स बहुत हरामी थे, ये बन्दर को
परेशान करने लगे।
.😡😡😡😡😡
कोई उसकी पूँछ खींचने लगा तो कोई पत्थर मारने लगा और
इसी खींचतान में बन्दर शेर के बाड़े में गिर गया।
.😂😂😂😡😡
बन्दर ने शेर को देखा और शेर ने बन्दर को, लोगो ने बाड़े के
बाहर से दोनों को देखा।
.😂😂😂😂😳😳
बन्दर की ड्रेस गीली हो गयी और दर्शको को पसीना छूटने
लगा।
बन्दर भगवान् से प्रार्थना करने लगा, उसे लगा कि उसका
आखिरी समय आ गया है। शेर आराम से बन्दर के पास आया
और उसे सूंघने लगा, दर्शको की आँखों में आंसू आ गए।
.😂😂😢😢😢
बन्दर 🙈ने डर के मारे आँखे बंद कर ली और हनुमान चालीसा
का पाठ करने लगा।
.😱😱😱😱😱😱😱
अचानक बन्दर 🙉के कानो में शेर की आवाज़ गूंजी - अबे
गुप्ता घबरा मत, मैं हूँ तेरा सीनियर, सुमित त्रिवेदी 2016 बैच... civil ब्रांच....
😆😆😜😜😜😜
😛😛😛😜😜😜😜😜

 
इन्टरनेट से सधन्यवाद...