Saturday, October 19, 2013

मिली दौलत, मिली शोहरत

मिली दौलत, मिली शोहरत, मिला है मान उसको क्यों;
मौका जानकर अपनी जो बात बदल जाता है;

किसी का दर्द पाने की तमन्ना जब कभी उपजे;
जीने का नजरिया फिर उसका बदल जाता है;

चेहरे की हकीकत को समझ जाओ तो अच्छा है;
तन्हाई के आलम में ये अक्सर बदल जाता है;

किसको दोस्त माने हम और किसको गैर कह दें हम;
जरुरत पर सभी का जब हुलिया बदल जाता है;

दिल भी यार पागल है ना जाने दीन दुनिया को;
किसी पत्थर की मूरत पर अक्सर मचल जाता है;

क्या बताएं आपको हम अपने दिल की दास्ताँ;
जितना दर्द मिलता है ये उतना संभल जाता है।

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