Sunday, May 1, 2011

Tumse Kitni Muhabbat Hai...

तुमसे कितनी मुहब्बत है ये बता नहीं सकता,
अपनी जिंदगी में तुम्हारी अहमियत जता नहीं सकता,
मेरी जिंदगी का हर लम्हा तुम्ही से शुरु होता है,
तुमसे दुर रह के एक पल भी अकेले बीता नहीं सकता,


मुमकिन है खुद को भुल जाऊं पर,
तुझे भूलने की खता मै कर नहीं सकता,
तुम मेरे दिल में ही नहीं मेरे रोम-रोम में बसे हो,
तुमसे बिछड़ के मैं ये जिंदगी जी नहीं सकता,


यकीन नही होता कि तुम चाहते नहीं हमें,
अपने दर्द को अपनी ज़ुबान से बयान कर नहीं सकता,
आज वादा है मेरे दिल से ऐ मेरे सनम,
तुम्हारे सिवा मै किसी और को चाह नहीं सकता,


तुम जिंदगी हो मेरी...
तुम्हारे बिना मेरा दिल धडक नहीं सकता,
साथ तुम्हारे मैं हमेशा रहुंगा इतना समझ लो,
जो तुम नहीं साथ तो जन्नत में भी "अरूण" जी नहीं सकता..

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