Tuesday, November 28, 2017

ऐ जवानों

ऐ जवानों जिंदगी को देश पर कुर्बान कर दो,
देश की इज्जत की खातिर प्राणों का बलिदान कर दो!

पाक का नापाक इरादा
बढ़ रहा इस देश पर,
कर रहा हमला हरामी
कारगिल कश्मीर पर,

बोलता है बात मीठी,
दिल मे तलवार है,
है भरोसे मंद नही,
नवाज एक खूंखार है,

बढ़ रहे जो पाँव उसके तोड़ कर लाचार कर दो,
देश की इज्जत की खातिर प्राणों का बलिदान कर दो!

न रखो दोस्ती की आशा,
खून का दुश्मन है प्यासा,
डट कर लड़ते रहो,
न दूर से देखो तमाशा,

दुश्मन को ये जता दो,
कि मौत से डरते नही हो,
हौसले बुलंद कर लो,
प्राणों में उमंग भर लो,

देशवाशियों दुश्मन के चूर सब अरमान कर दो,
देश की इज्जत की खातिर प्राणों का बलिदान कर दो!

Sunday, June 25, 2017

क्या दो दिन भी टिक सकता है ?

पाकिस्तान सदा तू ललक रहा
क्या तुझसे भारत झुक सकता है,
अगर कहीं युद्ध छेड़ा हमने
क्या दो दिन भी टिक सकता है?

कारगिल पर युद्ध किया
माँ भारती का सीना चाक किया,
अगर हमने युद्ध किया तो
नाम तेरा मिट सकता है
क्या दो दिन भी टिक सकता है?

तूने दोस्ती नहीं निभाई
की है सदा बेवफाई
अगर हमने भी की भरपाई
क्या तू कीमत दे सकता है
क्या दो दिन भी टिक सकता है?

L.O.C. को पार किया
काश्मीर पर वार किया
अगर हमने सीमा पार किया
तो वंश तेरा मिट सकता है
क्या दो दिन भी टिक सकता है?

आतंकवाद को जन्म दिया
विश्व-शांति को भंग किया
अगर "अरुण" ने शांति भंग किया
तो तू बहरा बन सकता है
क्या दो दिन भी टिक सकता है?


Poem By:
अभिषेक अरुण

Saturday, March 19, 2016

तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको,

तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको,
इससे पहले की कोई और बहा ले मुझको,
आइना बन के गुजारी है जिंदगी मैंने,
टूट जाऊंगा बिखरने से बचा ले मुझको,

जो आज कर गयी घायल वो हवा कौन सी है,
जो दर्द-ए-दिल करे सही वो दवा कौन सी है,
तुमने इस दिल को गिरफ्तार आज कर तो लिया,
अब जरा ये तो बता दो की दफा कौन सी है,

सोचता था मैं कि तुम गिर के संभल जाओगे,
रौशनी बन के अंधेरों को निगल जाओगे,
न तो मौसम थे न हालात न तारीख न दिन,
किसे पता था कि तुम ऐसे बदल जाओगे,

कवि: विष्णु सक्सेना

जो हम पर गुजरी है, जाना तुम्हे बताये क्या...


जो हम पर गुजरी है, जाना तुम्हे बताये क्या?
ये दिल तो टूट गया है, हम भी टूट जाएं क्या?
चिराग होने की मिलती हैं ये सजाएं क्या?
बुझा के मानेगी हमको भी ये हवाएँ क्या?
हमारे चारों तरफ हादसे हुए लेकिन, हमें बचाती हैं माँ बाप की दुआएं क्या?
तुम्हारे बाद सफर में कोई मजा ना रहा, हर एक मोड़ पर सोचा की लौट जाएँ क्या?
हमारे चेहरे के दागों पर तंज करते हो, हमारे पास भी है आइना, दिखाएँ क्या?
न टीस है न कसक है न आह है दिल में, चली गयी हैं हवेली से खादिमाएं क्या?
हमें लिबास भी सादा पसंद है निकहत , जो दिल ही बुझ गया, बाहर से जगमगाएँ क्या?

Beautiful lines from Dr. Naseem Nikhat..