पाकिस्तान सदा तू ललक रहा
क्या तुझसे भारत झुक सकता है,
अगर कहीं युद्ध छेड़ा हमने
क्या दो दिन भी टिक सकता है?
कारगिल पर युद्ध किया
माँ भारती का सीना चाक किया,
अगर हमने युद्ध किया तो
नाम तेरा मिट सकता है
क्या दो दिन भी टिक सकता है?
तूने दोस्ती नहीं निभाई
की है सदा बेवफाई
अगर हमने भी की भरपाई
क्या तू कीमत दे सकता है
क्या दो दिन भी टिक सकता है?
L.O.C. को पार किया
काश्मीर पर वार किया
अगर हमने सीमा पार किया
तो वंश तेरा मिट सकता है
क्या दो दिन भी टिक सकता है?
आतंकवाद को जन्म दिया
विश्व-शांति को भंग किया
अगर "अरुण" ने शांति भंग किया
तो तू बहरा बन सकता है
क्या दो दिन भी टिक सकता है?
Poem By:
अभिषेक अरुण
क्या तुझसे भारत झुक सकता है,
अगर कहीं युद्ध छेड़ा हमने
क्या दो दिन भी टिक सकता है?
कारगिल पर युद्ध किया
माँ भारती का सीना चाक किया,
अगर हमने युद्ध किया तो
नाम तेरा मिट सकता है
क्या दो दिन भी टिक सकता है?
तूने दोस्ती नहीं निभाई
की है सदा बेवफाई
अगर हमने भी की भरपाई
क्या तू कीमत दे सकता है
क्या दो दिन भी टिक सकता है?
L.O.C. को पार किया
काश्मीर पर वार किया
अगर हमने सीमा पार किया
तो वंश तेरा मिट सकता है
क्या दो दिन भी टिक सकता है?
आतंकवाद को जन्म दिया
विश्व-शांति को भंग किया
अगर "अरुण" ने शांति भंग किया
तो तू बहरा बन सकता है
क्या दो दिन भी टिक सकता है?
Poem By:
अभिषेक अरुण